कोरोना वायरस के चलते उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा इस बार रद्द हो गई है। कांवड़ यात्रा रद्द होने से हरिद्वार के हजारों छोटे-बड़े व्यापारियों को नुकसान हुआ है। इस यात्रा के दौरान हरिद्वार में करोड़ों का व्यापार होता है। ऐसे में सभी व्यापारी यात्रा रद्द हो जाने से निराश हैं, लेकिन एक ऐसा वर्ग भी है जिसके माथे पर चिंता की लकीरें सबसे ज्यादा गहरी हैं। ये वर्ग है तरह-तरह की आकर्षक कांवड़ तैयार करने वाले कारीगर। हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो कांवड़ यात्रा शुरू होने से कुछ महीने पहले ही कांवड़ के साथ यात्रा से जुड़ी और चीजें बनाने में जुट जाते हैं और यात्रा शुरू होने के बाद उन्हें बेचकर दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं।
खास बात यह है कि कांवड़ बनाने वाले ये कारीगर ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के हैं। ये सभी कारीगर भगवान शिव की भक्ति में शामिल पवित्र कांवड़ यात्रा के लिए तरह-तरह की आकर्षक कांवड़ बनाते हैं, लेकिन इस बार कांवड़ यात्रा रद्द हो जाने से इन कारीगरों को बड़ा झटका लगा है। इनमें से कई परिवारों ने कर्ज की रकम लेकर और महिलाओं के गहने गिरवीं रखकर कांवड़ बनाने के लिए बांस, लकड़ी, कपड़ा, रस्सी जैसा सामान खरीदा था।
यात्रा रद्द हो जाने के बाद ये कारीगर ना सिर्फ कर्ज के बोझ के नीचे दब गए हैं बल्कि इन परिवारों के चूल्हे भी ठंडे पड़े हैं। अब ये लोग सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं। कारीगर नईम ने बताया कि कर्ज की रकम लेकर कांवड़ बनाने के लिए सामान खरीदा था, लेकिन अचानक यात्रा रद्द हो गई जिससे मुनाफा दूर की बात लागत भी वापस नहीं आएगी, सरकार को मदद करनी चाहिए। वहीं महिला कारीगर बिल्किश का कहना है कि उनके पति ने उनके गहने गिरवी रखकर सामान खरीदा था, लेकिन अब उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पूरा परिवार बनाता है कांवड़
ज्वालापुर क्षेत्र में कांवड़ बनाने के काम में पूरा परिवार एक साथ जुटता है। कांवड़ में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल लाने के बाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर रंग बिरंगी आकर्षक कावड़ बनाते हैं और यात्रा शुरू होने पर उन्हें बेचते हैं। इस बार यात्रा रद्द हो जाने से ये परिवार बेहद मायूस है। घरों में कांवड़ बनाने का सामान जस का तस रखा हुआ है।