जहां तक योगी आदित्यनाथ का सवाल है, वो जिस गोरक्ष पीठ के महंत हैं, उस पीठ का राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है लेकिन योगी आदित्यनाथ आंदोलन के वक़्त न तो मठ में और न ही राजनीति में सक्रिय थे, इसलिए उनका उस आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा. कभी योगी आदित्यनाथ के बेहद क़रीबी और उनके द्वारा स्थापित हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुनील सिंह अब उनका साथ छोड़कर भले ही समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ की शुरुआती राजनीति के वो न सिर्फ़ साक्षी हैं बल्कि सहयोगी भी रहे हैं.
सुनील सिंह कहते हैं, “मंदिर आंदोलन में उनकी कोई निर्णायक भूमिका नहीं रही. 1994 में योगी जी गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने और उसके बाद 1998 में सांसद बने. उस दौरान राम मंदिर को लेकर ऐसा कोई आंदोलन हुआ भी नहीं. हां, उससे जुड़े तमाम आंदोलनों में वो अक़्सर सक्रिय रहते थे और हम लोग भी उसमें साथ रहते थे.
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सुनील सिंह बताते हैं कि ऐसे कई मौक़े आए जब अयोध्या और राम मंदिर निर्माण को लेकर योगी आदित्यनाथ मुखर दिखे लेकिन चूंकि ये मामला अदालत में था इसलिए उसके बारे में ज़्यादा कुछ बोल नहीं सकते थे. वो कहते हैं, “अयोध्या में जब परिक्रमा पर रोक लगी थी तो वहां जाने के लिए योगी जी की गिरफ़्तारी हुई थी. इसके अलावा एक बार अखंड कीर्तन में भाग लेने के लिए जा रहे थे, तब भी उन्हें ज़बरन रोका गया था.”
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ की कोई भूमिका राम मंदिर आंदोलन में भले ही न रही हो लेकिन वो जिस गोरक्षपीठ के उत्ताराधिकारी हैं, वह मठ इस आंदोलन का अगुआ रह चुका है.