हर वर्ष 15 जून को श्रद्धालु जिस बेसब्री से कैंची धाम के स्थापना दिवस का इंतजार करते हैं, उतनी ही श्रद्धा और उत्साह मालपुए के प्रसाद को लेकर भी होता है। बाबा नीब करौरी महाराज की विशेष इच्छा से शुरू हुई मालपुए के प्रसाद की परंपरा आज भी उतनी ही आस्था और नियमों के साथ निभाई जाती है।
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मंदिर समिति के अनुसार, मालपुए बनाने का कार्य 12 जून, बृहस्पतिवार से शुरू होगा, जो विशेष व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ होगा। केवल वही श्रद्धालु इस सेवा में भाग ले सकते हैं जो व्रत रखकर, धोती-कुर्ता पहनकर और हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए इस कार्य में सम्मिलित हों।
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मालपुए देशी घी में बनाए जाएंगे और इन्हें विशेष तौर पर पेटियों व डलियों में रखकर 15 जून की सुबह बाबा को भोग लगाने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा। यह परंपरा बाबा नीब करौरी महाराज की आत्मिक इच्छा से शुरू हुई थी और आज भी उसी नियमबद्ध श्रद्धा से निभाई जा रही है।