केजीएमयू में हुए बीसीजी, प्लाज्मा व च्यवनप्राश के ट्रायल के सकारात्मक परिणाम दिखे हैं। बीसीजी के ट्रायल में शामिल हेल्थ वर्कर पर कोरोना वायरस का असर कम हुआ है तो प्लाज्मा थेरेपी से भी मरीजों की जान बच रही है। इससे चिकित्सक, विशेषज्ञों की टीम उत्साहित है। ट्रायल के नतीजों का मूल्यांकन शुरू हो गया है। हालांकि, तीन माह तक ट्रायल में शामिल लोगों पर नजर रखी जाएगी।
केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी का पहला ट्रायल 26 अप्रैल को शुरू हुआ था। प्रदेश में इकलौता ट्रायल करने वाले केजीएमयू ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के तहत 12 लोगों पर ट्रायल किया। सूत्र बताते हैं कि इसमें 50 फीसदी से ज्यादा को फायदा मिला। इसके बाद करीब 50 लोगों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई, जिसमें 41 की जान बचाई गई है।
ट्रायल के सकारात्मक नतीजों को देखते हुए आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों को प्लाज्मा थेरेपी देने का निर्देश दिया है। पीजीआई में अब तक 21 मरीजों को थेरेपी दी गई, जिसमें 17 ठीक हुए हैं। लोहिया संस्थान में 10 मरीजों को थेरेपी दी जा चुकी है।
दवा सप्लायर पर उस्तरे से कि
वार, लगे 50 टाके
बीसीजी का टीका लेने वालों में वायरस का असर कम
केजीएमयू में मई में बैसिलस कालमेट गुएरिन (बीसीजी) का ट्रायल शुरू हुआ। इसमें तीन माह में 170 लोगों को शामिल किया गया। पहले समूह में सीधे संपर्क में आने वाले, दूसरे में कम संपर्क वाले और तीसरे समूह में स्वास्थ्यकर्मियों को रखा गया। सूत्र बताते हैं कि ट्रायल के सकारात्मक नतीजे मिले हैं।
सीधे संपर्क वाले कुछ लोगों पर वायरस का असर दिखा है, लेकिन 60 फीसदी से ज्यादा पर असर नहीं हुआ है। इसी तरह दूसरे और तीसरे ग्रुप वालों पर भी वायरस का असर 15 से 20 फीसदी पाया गया। फिलहाल ट्रायल के नतीजों का विस्तृत मूल्यांकन हो रहा है। ट्रायल में शामिल मरीज तीन माह तक पॉजिटिव नहीं आते हैं तो माना जाएगा कि बीसीजी का टीका वायरस रोकने में काफी हद तक कारगर है।
केजीएमयू की संक्रामक रोग यूनिट के नोडल प्रभारी डॉ. डी हिमांशु कहते हैं कि अभी सिर्फ इतना कहा जा सकता है कि नतीजे सकारात्मक हैं और भविष्य के लिए अच्छे संकेत हैं। ट्रायल के सभी पहलुओं का मूल्यांकन कर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को भेजा जा रहा है।
च्यवनप्राश खाने वालों पर बहुत कम असर देखने को मिला
केजीएमयू में आयुष 64 और च्यवनप्राश का ट्रायल जून से अगस्त तक हुआ। इसे आयुर्वेद संस्थान ने तैयार किया है। इसके तहत 100 कर्मचारियों को च्यवनप्राश और आयुष 64 दवा दी गई और 100 को नहीं दी गई। दवा व च्यवनप्राश खाने और न खाने वालों की इम्युनिटी परखी गई।
आयुष मंत्रालय की ओर से कराए गए ट्रायल के सकारात्मक नतीजे मिले हैं। इसमें पाया गया कि च्यवनप्राश लेने वाले बीमार नहीं हुए। ट्रायल के इन्वेस्टिगेटर डॉ. एके सोनकर ने बताया कि परिणाम बेहतर मिले हैं। इनका मूल्यांकन शुरू कर दिया गया है।