उत्तराखंड देव भूमि है यह कहने में कोई भी संकोच नहीं है उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद के कपकोट तहसील में चीरपत कोट की सुगम पहाड़ियों में श्री श्री 1008 गुरु गोरखनाथ गुसाईं देवता एवं माता भगवती का भव्य मंदिर है यह स्थल अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां से हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के साक्षात दर्शन होते हैं यहां से अल्मोड़ा पिथौरागढ़ नेपाल की गगनचुंबी की पहाड़ियां दृष्टिगोचर होती है इसके साथ ही शिखर मूल नारायण जी के मंदिर की चोटी भी इसके ठीक सामने दिखाई देती है इसके अलावा जीवनदायिनी मां सरयू और उसके तट पर बसे कपकोट फुलवाड़ी दुलम आदि गांवों के मनोहारी दृश्य नजर आते हैं इसलिए लोग यहां देव दर्शन के अलावा प्रकृति के दीदार करने के लिए आते हैं साथ ही पर्यटक प्रेमी भी इस गगनचुंबी पहाड़ी तक पहुंचने के लिए लालायित रहते हैं यदि इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन और साहसिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो उत्तराखंड में प्रमुख पर्यटन स्थलों में अपना स्थान बना सकता है
इसके साथ-साथ क्षेत्र के लोगों के रोजगार में भी इजाफा हो सकता है परंतु आज के समय में इसके आसपास के सभी गांवों से पलायन हो चुका है इतनी ऊंची चोटी पर होने के बाद भी जनसहयोग से इस चोटी पर गुसाईं देव भगवती माता एवं बाड देवताओं के भवनों का निर्माण किया गया है और भक्तों के रहने के लिए यहां (300 से 400 लोगों) के रहने के लिए धर्मशालाओं का भी निर्माण जन सहयोग से पूर्ण हुआ है जो कि इस चोटी पर किसी भी हालत पर संभव नहीं है
यहां समय-समय पर लोग भागवत कथा सत्यनारायण कथा दुर्गा सप्तमी अष्टमी आदि धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करते हैं हाल ही में यहां विद्युत विभाग द्वारा बिजली की लाइन व पानी के लिए पाइपलाइन बिछाई गई है और जिला पंचायत बागेश्वर द्वारा पैदल चलने हेतु पैदल मार्ग का निर्माण किया गया है तहसील मुख्यालय से मंदिर की दूरी 7 किलोमीटर ऊंची चोटी पर है इसके साथ ही एक रास्ता पोथीग गांव मां भगवती के मंदिर जो कि उत्तराखंड में एक प्रसिद्ध मंदिर के रूप में है जहां पर लोगों ने मां भगवती के साक्षात दर्शन भी किए हैं वहां से भी होते हुए जाता है जो तहसील से गांव पहुंचने के लिए सुगम मार्ग है भगवती मंदिर होते हुए गाड़ी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है
जो भी व्यक्ति एक बार इस मंदिर पर आ जाता है वह इनकी शक्ति का एहसास खुद कर लेता है और बार-बार आते रहता है आसपास के लोगों के द्वारा गोसाई देवता कि जो कथा सुनने को मिलती है या बातें सुनने को मिलती है लगता है कि वह आज भी साक्षात उन लोगों के साथ ही रहते हैं कई लोगों का तो यह भी मानना है कि वह समय-समय पर उन लोगों को किसी न किसी रूप पर दर्शन देते रहते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं