यूपीसीएल र महीने जितनी बिजली खरीदता है, उसके दामों पर एफपीपीसीए के तहत अगले महीने रिकवरी या छूट दी जाती है। अगर निर्धारित दामों से अधिक पर खरीद हुई तो उपभोक्ताओं से रिकवरी होगी और कम दरों पर खरीदी तो उन्हें छूट दी जाती है। जुलाई का बिजली बिल करीब 20 पैसे प्रति यूनिट महंगा आएगा। तीन माह में बिजली खरीद, एफपीपीसीए के तहत हुई रिकवरी या छूट के हिसाब से यूपीसीएल ने इस अवधि के हिसाब-किसाब से 22.73 करोड़ रुपये की रिकवरी की अनुमति मांगी थी, जिस पर आयोग ने मुहर लगा दी। जून के बिजली बिल में यह रकम जोड़कर जुलाई में वसूली जाएगी।
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यूपीसीएल अब हर महीने जितनी बिजली खरीदता है, उसके दामों पर फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (एफपीपीसीए) के तहत अगले महीने रिकवरी या छूट दी जाती है। अगर निर्धारित दामों से अधिक पर खरीद हुई तो उपभोक्ताओं से रिकवरी होगी और कम दरों पर खरीदी तो उन्हें छूट दी जाती है। इस खरीद-फरोख्त, रिकवरी-छूट की माहवार और तिमाही रिपोर्ट नियामक आयोग के समक्ष पेश की जाती है।
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यूपीसीएल ने नियामक आयोग में याचिका दायर कर बताया था कि पिछले साल अक्तूबर से दिसंबर के बीच उपभोक्ताओं से एफपीपीसीए के तहत 35 करोड़ की रिकवरी की गई जबकि इस तिमाही में कुल बिजली खरीद की लागत 57.73 करोड़ थी। इस हिसाब में कुल 22.73 करोड़ का अंतर था। यूपीसीएल ने आयोग से इसकी वसूली की अनुमति मांगी थी। आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने जून माह के बिल में इस राशि की वसूली की सशर्त अनुमति दी है। जुलाई में उपभोक्ताओं से यह रकम वसूली जाएगी। आयोग ने निर्देश दिए हैं कि यूपीसीएल का माहवार ऑडिट आंकड़ा अभी उपलब्ध न होने के चलते इस वसूली का हिसाब अलग से रखा जाए। इस वसूली से बिजली बिलों पर औसत 22 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होगी। हालांकि यह बढ़ोतरी केवल एक माह के लिए ही लागू होगी।