बागेश्वर के लमचुला गांव के प्रमोद स्वरोजगार के जरिये अपनी आर्थिकी बेहतर कर रहे हैं। साथ ही स्थानीय कला को भी पहचान दिला रहे हैं। चीड़ की छाल से बनी सजावटी वस्तुएं और कलाकृतियां उनके हुनर को दर्शाती हैं। परिवार का खर्च चलाने के लिए वह दिल्ली की एक कंपनी में छह हजार रुपये के वेतन पर काम करते थे। इतने पैसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा था। प्रमोद बताते हैं कि उनके शिक्षक ने गांव वापस लौटकर अपनी कला पर ध्यान देने की सलाह दी। प्रमोद के शिक्षक हरीश दफौटी कहते हैं प्रमोद जैसे कलाकारों के जरिये वह स्थानीय कला को विश्व में पहचान दिलाना चाहते हैं।
जगथाना के युवाओं के हुनर को पूर्व कपकोट विधायक ने किया सलाम
प्रमोद ने चीड़ की छाल से केदारनाथ, बदरीनाथ, बागनाथ समेत कई मंदिरों की प्रतिकृति बनाई है। इसके अलावा देवी-देवताओं की मूर्तियां, टोकरी, घड़ी, वॉल पेन्टिंग्स समेत कई खूबसूरत सजावटी सामान लोगों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने राज्य और राष्ट्र स्तर के कई मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया है।
इन्हीं छुपी प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए आज जग थाना के दो युवाओं कि कला को पूर्व विधायक फर्स्वाण व हरीश ऐठानी ने कदम उठाए है