नशे की लत का शिकार होकर अर्चित ने अपने रिश्तेदारों के घर में चोरी कर डाली। इससे परिजनों और रिश्तेदारों ने उससे किनारा कर लिया। लेकिन दून पुलिस ने हाथ थामकर उसे मुख्य धारा में लाकर जीवन जीने की ललक पैदा की। नतीजा यह रहा कि कोरोनाकाल में रायपुर पुलिस का सहयोग कर उसने जरूरतमंदों की मदद की और खुद नशा छोड़कर युवाओं को नशे के प्रति जागरूक भी किया।
जब यह जानकारी राज्यपाल को पता चली तो उसकी सजा माफ कर दी गई। हम बात कर रहे हैं अर्चित शर्मा (21) पुत्र राम मोहन शर्मा निवासी तर्ली कंडोली राजपुर रोड की। वर्ष 2012 में पिता की मौत के बाद अर्चित को नशे की लत लग गई। 2017-18 में नशे के लिए पैसे मांगने लगा जिस पर परिजनों ने रुपये देने से मना कर दिया। परिजनों ने अर्चित को उसके मामा के पास बेंगलुरु भेज दिया।
बागेश्वर की सड़कों में भी जल्द
दौड़ेगा ई रिक्शा, देखे वीडियो
एक साल रहने के बाद वह दून आ गया। मई 2019 में अर्चित ने अपने रिश्तेदारों के घर से गहने चोरी किए। परिजनों ने उसके खिलाफ 21 जून 2019 को रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। अर्चित शर्मा को न्यायालय ने एक वर्ष का कारावास एवं 5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी।
एक अप्रैल 2020 को कोरोना के मद्देनजर वह पैरोल पर छूटा था। परिजनों ने घर आने से मना किया था जिस पर वह रायपुर थाने पहुंचा था। डीआईजी अरुण मोहन जोशी के निर्देश पर रायपुर एसओ अमरजीत सिंह रावत ने उसका मार्गदर्शन किया और अर्चित ने थाने में आने वाले जरूरतमंदों की मदद करने की पेशकश की।
कोरोना अवधि में अर्चित ने पुलिस का सहयोग किया। रायपुर थाना प्रभारी अमरजीत सिंह रावत ने बताया कि इस कार्यप्रणाली एवं व्यवहार के कारण 27 जुलाई को राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने अर्चित की 3 माह 8 दिन की सजा माफ कर समय पूर्व रिहाई के आदेश पारित किए।